Skip to product information
1 of 2

आत्मानुशासन

आत्मानुशासन

Regular price Rs. 0.00
Regular price Sale price Rs. 0.00
Sale Sold out

'आत्मानुशासन' आचार्य गुणभद्रदेव का अध्यात्म और वैराग्य प्रधान ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ पर आचार्य प्रभाचन्द्रजी की एक संक्षिप्त टीका संस्कृत में उपलब्ध है। यह टीका अत्यन्त संक्षिप्त है। इसमें शब्दों की निरुक्तियाँ क्रियापदों का पृथक् अर्थ एवं ग्रन्थ के हार्द का खुलासा नहीं हो पाता है। किसी भी ग्रन्थ का हार्द टीका के माध्यम से ही स्पष्ट होता है। इसी भावना को ध्यान में रखकर शायद मुनि प्रणम्यसागर ने आत्मानुशासन पर एक पृथक् टीका संस्कृत में लिखी है। इस टीका का नाम समाप्य), 'स्वस्ति' टीका है। जो सभी भव्य जनों के लिए मंगलकारी है।

View full details