द्रव्य संग्रह

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आज  मुनिश्री ने  सामान्य से बहुत कठिन लगने वाले अनेक सैद्धान्तिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथो को अपने प्रवचन के माध्यम से विवेचन कर बहुत ही सरल बना दिया है।उसी श्रंखला में आचार्य श्री नेमिचन्द्र द्वारा प्राकृत गांथाओं में रचित श्री द्रव्य संग्रह की यह हिंदी टीका मुनि श्री की मधुर वाणी को सुनकर गुंथी गयी वह मंगल रचना है। मुनि श्री द्वारा दिये गए प्राकृत भाषा के ज्ञान ने इस महान ग्रंथ को पड़ने वालों के लिए छह द्रव्य और सात तत्वों का मर्म समझना ओर भी सुलभ बना दिया।

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अर्हं योग प्रणेता प्राकृत मर्मज्ञ अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर रचित साहित्य को आप यहाँ से प्राप्त करें