पुरुषार्थ सिद्धि उपाय
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आचार्य कुंद कुंद आम्नाओं की धारा में आगे ऐसे अनेक महान आचार्य हुए जिंहोने ऐसे अनमोल रत्न लिख दिए, कि जिनका नाम अपनी जिहवा से लेने मात्र से पुण्य का अनुभव होता है। आचार्य अमृतचन्द्रसूरि की मौलिक कृति पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में आत्मोन्नति के रत्नत्रय रूप तीनों सोपान गर्भित हैं। साथ अध्यायों में विभाजित है।
श्रावकाचार के रूप में पहचान रखने वाला यह ग्रन्थ आध्यात्मिक अभिरूचि को भी बढ़ाता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर कृत मङ्गला टीका मूलग्रंथ के विषय को अतिस्पष्ट करती हुई। मूलाम्नाय को पुष्ट करती है।
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अर्हं योग प्रणेता प्राकृत मर्मज्ञ अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर रचित साहित्य को आप यहाँ से प्राप्त करें