प्रवचनसार का सार - भाग पाँच
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कुंद कुंद देव की कृपा और हुई तो एक और महान ग्रंथ श्री प्रवचन सार जी " के रूप हमें मिला।"
इस ग्रंथ राज में भगवान कुंव कुंद देव नें ज्ञान , ज्ञेय और चारित्र का वर्णन अति सूक्ष्मता से किया।
अब तक सुधी जनों को जो विषय आति कलिष्ठ लगता था। उसे सरल से सरलतम करना केवल पूज्य श्री जैसे श्रमण के क्षयोपशम है। जो कृपा हम अल्प बुद्धियों पर हुई और हमनें न केवल
इन तत्वों को समझा अपितु परीक्षा के माध्यम से अपने स्वाध्याय को परखा थी। जिसका माध्यम
बनी यह "प्रवचन' सार का सार श्रंखला " जिसमें गुरु 'देव' के समस्त प्रवचनों का अवलोकन है।
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अर्हं योग प्रणेता प्राकृत मर्मज्ञ अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर रचित साहित्य को आप यहाँ से प्राप्त करें